भगवान के अवतारों का प्रकाश इस भूमि में साधरणतः शिष्टपालन के लिए, दुष्टदमन के लिए और धर्मस्थापन के लिए होता है, परंतु श्री चैतन्य महाप्रभु अपने सर्वश्रेष्ठ भक्त के भाव आस्वादन के लिए ही आए थे । चूंकि आपका आविर्भाव प्रेम से विशिष्ट था आपने ये कार्य भी किये –
- भगवत-प्रीति को लाकर उसका विभाग किया ।
- भगवत-प्रीति को उत्तम पुरुषार्थ रूप में स्थापित किया ।
- श्रीमदभागवत को सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ को माना, क्योंकि वहाँ ईश्वरों का ईश्वर, सर्वोत्तम प्रीति का पात्र और अधिकतम प्रीति के आश्रय दिखाते जाते हैं ।
- भगवत-प्रीति पाने के एक वैज्ञानिक उपाय को दिया ।
- इस उपाय के लिए प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार दिया ।
- एक निर्दोष सिद्धांत स्थापन किया ।
- व्यवहार, कलाएँ इत्यादि भगवद-भक्ति में अंतर्भुक्त किये ।